तम्बाकू(Tobacco) को जहर भी कहा जा सकता है, लेख में तम्बाकू के हानिकारक दुष्प्रभाव एवं दुष्परिणामों के बारे में लिखा गया है, यह ऐसा जहर(poison) जिसके खाने का लत लग जाए तो चाहकर भी नहीं छोड़ा जा सके। इसका सेवन करके व्यक्ति धीरे धीरे मौत के मुँह मे जाता रहता हैं।
तम्बाकू खाने के हानिकारक दुष्प्रभाव
इस लेख में हम आपको तम्बाकू खाने से होने वाले हानिकारक बीमारियों तथा शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे काफी विस्तार से हिन्दी में बतायेंगे।
एक नजर तम्बाकू के उत्पादों(tobacco products) पर
तम्बाकू के प्रकार (Types of tobacco in Hindi)
बीड़ी, सिगरेट, सिगार, जर्दा, खैनी, चैरट, चुट्टा, धुमटी, हुकली, चिलम, हुक़्क़ा, गुटखा, सुरती, तम्बाकू वाला पान, गुल इत्यादि
ये सभी तम्बाकू से बने होते हैं यदि आप इनमें से किसी का भी सेवन कर रहे है तो इसका सीधा सा मतलब है कि आप तम्बाकू के नशे में हैं।
तम्बाकू में पाये जानेवाले हानिकारक तत्व तथा रसायन
Toxic elements and chemicals found in tobacco-
तम्बाकू में मादकता या उतेजना प्रदान करने वाला सबसे हानिकारक तत्व निकोटीन (Nicotine) पाया जाता है। इसकी मात्रा शरीर में बढ़ जाने से यह मृत्युदूत कि तरह कार्य करता है।
रिसर्च से पता चला है कि तंबाकू में 28 तरह के कार्सिनोजेनिक तत्व होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। इनमें निकोटीन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस प्रमुख हैं।
धुएं से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस जहरीली(toxic) होने के साथ-साथ शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है, जिससे शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग जैसे कि दिमाग, हृदय, फेफड़े ठीक तरह से कार्य नही कर पाते। निकोटीन रक्तचाप को बढ़ाता है जिससे दिल का दौरा(Heart attack) पड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं। इन दोनों के अलावा तम्बाकू में कैंसर उत्पन्न करने वाले अनेक तत्व तथा रसायन पाये जाते हैं।
जैसे की टार, मार्श गैस, अमोनिया, कोलोडान, पापरीडिन, फॉस्फोरल प्रोटिक अम्ल, परफैरोल, ऐजालिन सायनोजोन, कोर्बोलिक ऐसिड, बेनजीन इत्यादि।
तंबाकू सेवन से होनेवाली बीमारियाँ तथा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
तम्बाकू से कैंसर(Tobacco cancer)
कैंसर होने के कारणों में सबसे बड़ा योगदान तम्बाकू का ही होता हैं। तम्बाकू के सेवन से अनेक प्रकार के होने वाले रोगों में कैंसर प्रमुख हैं। इससे फेफड़े का कैंसर हो सकता है, मुँह का कैंसर हो सकता है या फिर गले अथवा श्वसन नली का कैंसर हो सकता हैं।
इसके अलावा पेट का कैंसर, किडनी तथा पैंक्रियाज में होने वाले कैंसर, ब्लैडर और मूत्राशय संबंधी रोगों में भी तम्बाकू महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
तम्बाकू में निकोटीन , नाइट्रोसाइमिन, टार, बेनजीन, आर्सेनिक, क्रोमियम, आदि कैंसर पैदा करने वाला प्रमुख तत्व पाए जाते हैं।
तम्बाकू के ये कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व कार्सिनोजेनिक तत्व कहे जाते हैं।
तम्बाकू से हृदय संबंधी रोग(Heart disease)
तम्बाकू से होने वाले मुख्य रोगों में कैंसर के बाद हृदय संबंधी रोग आते हैं। रक्त में निकोटीन तथा कार्बन की मात्रा बढ़ जाने से शरीर के नसों में थक्के जम जाते हैं, जिससे रक्त परिवहन में समस्या आ जाती है और शरीर का परिवहन तंत्र प्रभावित हो जाता हैं।
हृदय का कार्य शरीर में रक्त परिवहन को सुचारु रूप से बनाये रखना होता है। यदि शरीर के किसी भाग में रक्त परिवहन ठीक से नही होता है तब हृदय उन जगहों पर रक्त भेजने के लिए जोड़ लगाती है, जिसके फलस्वरूप नसों में रक्तचाप बढ़ जाता है, रक्तचाप बढ़ जाने के कारण आपकी नसें फट सकती है तथा हृदयाघात(Heart Attack) भी हो सकता है।
थक्के जमने के अलावा जब सिगरेट, बीड़ी इत्यादि से निकलने वाला कार्बन मोनो-ऑक्साइड फेफड़ों के द्वारा हमारे रक्त में मिल जाते है, तब रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाने के कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता हैं।
तम्बाकू का फेफड़ों पर प्रभाव(Effects of tobacco on lungs)
मनुष्य का मुख्य श्वशन अंग फेफड़ा हैं। धुआंयुक्त तम्बाकू का सेवन हमारे फेफड़ो पर बहुत ही बुरा असर डालते हैं। यदि आप किसी दुसरे व्यक्ति के द्वारा छोड़े गये तम्बाकू का धुआं ग्रहण कर लेते है तो आपके फेफड़ो का भी उतना ही नुकसान होगा जितना उस तम्बाकू पीने वाले के फेफड़ों का होगा।
हमारे फेफड़ो में छोटे-छोटे लगभग 30 करोड़ अल्वेओली(Alveoli) पायें जाते है जो रक्त में ऑक्सीजन मिलाने तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड निकालने का कार्य करते है। तम्बाकू का गर्म धुंआ हमारे फेफड़ों के इन वायु पुटिकाओ यानि अल्वेओली के दीवालों को नुकसान पहुचाते है जिससे रक्त में ऑक्सीजन ठीक से नही मिल पाता है।
तम्बाकू के सेवन अथवा उसके ध्रुमपान करने से धुंए के साथ जो कार्बन तथा टार हमारे फेफड़ों में चले जाते है, वो फेफड़ो में पायी जानेवाली सिलिया के बालों के पर्त पर जम जाते है, जिससे श्वाश लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। तम्बाकू के ज्यादा सेवन से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
तम्बाकू सेवन से होते है कई तरह के रोग
१. तम्बाकू का सेवन पुरुष या महिला दोनों के प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, पुरुषों में तम्बाकु के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, जिससे नपुंसकता हो सकता हैं, जबकि स्त्रियों में तम्बाकू के सेवन से बाँझपन हो सकता हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भपात हो जाने की आशंका बनी रहती है तथा भ्रूण का विकास प्रभावित होता है।
२. तम्बाकू में पाए जानेवाले फोस्फोरल प्रोटिक एसिड के कारण टी. बी. रोग तथा परफैरोल के कारण दांत पीले, मैले और कमजोर हो जाते हैं। तंबाकू से होने वाले ल्यूकोप्लाकिया(leukoplakia) रोग के कारण आपके दांत और मसूड़े सड़ने लगते हैं।
३. तम्बाकू का ज्यादा नशा करने से स्वाद तथा सूंघने की शक्ति प्रभावित होती हैं। साथ ही Asthma(दम्मा) तथा कई असंक्रामक रोग हो जाते हैं।
४. इसके ज्यादा सेवन से मुँह से दुर्गन्ध आती रहती है साथ ही हमारी लार ग्रंथि भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती जिसके फलस्वरुप भोजन के पाचन में परेशानी होने लगती हैं।
५. कभी-कभार छाती में दर्द होना, जकड़न होना, आँख से दिखाई कम पड़ना, सिर में दर्द होना, रक्तचाप(Blood Pressure) बढ़ जाना तम्बाकू के प्रभाव के कारण हो सकता हैं।
६. तम्बाकू के कारण होनेवाले रोगों से हमारी त्वचा काफी हद तक प्रभावित होती है जिससे आपका शरीर ऐसा दिखने लग जायेगा जैसे की आप बूढ़े हो चुके है। आप शारीरिक तौर पर भी काफी कमज़ोर हो जायेंगे।
तम्बाकू के हानिकारक दुष्प्रभाव(Effects of tobacco) तथा उससे होने वाले नुकसान को पढ़ कर अब तो आप जान गये होंगे की तम्बाकू किस कदर समाज को तबाह कर रहा हैं।
GATS(Global Adult Tobacco Survey) के 2016-17 के सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में 28.6 फीसदी व्यस्क आबादी तम्बाकू के लत से ग्रस्त हैं। जिसमे 18% व्यस्क तथा युवा धुआं रहित तम्बाकू का सेवन करते हैं। पिछले कुछ वर्षो में तम्बाकू के सेवन में काफी कमी आई है क्योंकि 2009-10 के सर्वे में यह प्रतिशत 38.6% था। तम्बाकू के पैकेटों पर लिखे जाने वाले चेतावनी का इसमे बहुत बड़ा योगदान है।
ऐसा भी कहा जाता है कि पूरे विश्व में होनेवाली हर 5 मौतों में से एक मौत तम्बाकू के कारण होती हैं।
साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की हर साल 31 मई को तम्बाकू के कुप्रभाव से दुनिया को बचाने के लिये विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता हैं।