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गाइड: सेंसेक्स क्या होता है? - गणना की पूरी जानकारी

सेंसेक्स क्या होता है? सेंसेक्स के बारे में जानने से पहले आपको शेयर बाजार क्या होता है इसको समझना होगा। क्योंकि दोनों एक-दुसरे के पूरक है।
सेंसेक्स भारतीय पूंजी बाजार का सूचकांक है।

सेंसेक्स के बारे में आपको जरुर जानना चाहिए, क्योंकि सेंसेक्स का घटना-बढ़ना आपके जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करता हैं। अक्सर आपने सेंसेक्स के बारे में जरुर सुना होगा। इस लेख में हमने विस्तार से इससे संबंधित सभी जरूरी जानकारियों को आसान शब्दों में बताई है।

सेंसेक्स क्या होता है - इसपर एक लेख

शेयर बाजार क्या है?

Stock Market(शेयर बाजार) : स्टॉक मार्केट को स्टॉक एक्सचेंज भी कहते है। यह एक ऐसा बाजार है जहां से आप कोई सामान नही खरीद सकते। इस बाजार में कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते है। यहाँ शेयर खरीदने तथा बेचने से संबंधित ज्यादातर कार्य ब्रोकर्स(दलाल) के द्वारा किये जाते है। क्योंकि यहा दलालों का होना आपकी जरुरत है।

सेंसेक्स हिन्दी में - Sensex in Hindi

यदि आप स्टॉक मार्केट में अपना पूंजी लगाकर निवेश करना चाहते है और आपके पास शेयर बाजार से संबंधित ज्यादा जानकारी नही है तब हो सकता है की आपको घाटा उठाना पड़े। क्योकि शेयर बाजार स्थिर नही है, यहाँ शेयरों के दाम हर क्षण घटते-बढ़ते रहते है।

भूलवश आपने किसी ऐसी कंपनी के शेयर को खरीद लिया जिसके शेयरों के वैल्यू कम होने वाले है तब इस परिस्थिति में आपको नुकसान उठाना पड़ेगा।

शेयर क्या होते है?

Stock(शेयर): किसी कंपनी को चलाने के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है, और कोई अकेला व्यक्ति इतनी बड़ी पूंजी अकेले नही लगा सकता। इसलिए कंपनियों के पूंजी को छोटे-छोटे भागों में बाट दिया जाता है। इन्ही भागों को शेयर(Stock) कहते है।

कहने का तात्पर्य यह है की यदि आपने शेयर बाजार में पंजीकृत किसी कंपनी के शेयर का एक प्रतिशत खरीद लिया है तो आप उस कंपनी के एक प्रतिशत के हिस्सेदार है। इस तरह से किसी कंपनी के कई हिस्सेदार हो सकते है। लेकिन किसी कंपनी में बोलवाला उसी का होगा जिसके पास कंपनी के ज्यादा शेयर रहेंगे।

किसी कंपनी के शेयर खरीदने वाले को शेयर होल्डर यानि शेयर धारक कहते है।

पढ़िए: निफ्टी क्या है?- इसकी गणना कैसे होती है?

सेंसेक्स शब्द कैसे बना इसका अर्थ - Sensex kya hota hai

SENSEX जो की Sensitive के Sens तथा Index के Ex से मिलकर बना है, भारतीय पूंजी बाजार(Indian capital market) को इंडेक्स करने वाली एक संवेदी सूचकांक(Sensitive Indices) है। सेंसेक्स Bombay Stock Exchange(BSE) को index करता है, इसलिए इसे BSE Sensex भी कहते है। सेंसेक्स की गणना Free-float market capitalisation method के आधार पर की जाती है।

1 जनवरी, 1986 को पहली बार प्रकाशित होने के बाद सेंसेक्स आजतक मुंबई शेयर बाजार के लिए indicator की तरह कार्य कर रहा है।
सेंसेक्स का जो base year है वो 1978-79 है, और इसका base value उस समय के लिए 100 है।

यहाँ Base Year तथा Base Value कहने का मतलब यह है की किसी दिन के सेंसेक्स को वर्ष 1978-79 के Market Cap एवं base value से कैलकुलेट करते है। इसके बारे में आप नीचे पढेंगे।

उस समय सेंसेक्स को 100 Points पर इसलिए शुरू किया गया था ताकि गणना में आसानी हो। क्योकि अगले दिन यदि शेयर मार्केट का कारोबार 10% बढ़ता तो Sensex का पॉइंट्स भी 10% बढ़कर 110 पॉइंट्स हो जाता।

सेंसेक्स, BSE(Bombay Stock Exchange) में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर्स के कीमतों में होने वाले तेजी तथा मंदी को सूचित करता है।
यदि कोई कंपनी बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसके शेयर्स की कीमत बढ़ जाती है, जिससे शेयर बाजार में तेजी(Bullish) आती है और यदि कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को ठीक से प्रमोट नही करती या घाटे में चल रही होती है तब शेयर होल्डर उस कंपनी के शेयर्स को बेच देते है, जिसके फलस्वरूप उस कंपनी के शेयर्स के भाव गिर जाते है, जिससे शेयर बाजार में मंदी(Bearish) आती है।

बॉम्बे शेयर बाजार जिसे मुंबई शेयर बाजार के नाम से भी जानते है उसमे लगभग 5500 से ज्यादा कंपनिया पंजीकृत(registered) है।
लेकिन सेंसेक्स इन सभी 5500+ कंपनियों को Index नही करता।

भारत में दो Stock Market है

  • मुंबई शेयर बाजार - Bombay Stock Exchange (BSE)
  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, दिल्ली - National Stock Exchange (NSE)

ब्लू-चिप कंपनी

बीएसई-सेंसेक्स में पंजीकृत कंपनियों में से सबसे सक्रिय, मार्केट कैप के हिसाब से सबसे बड़ी, वित्तीय रूप से काफी मजबूत और भारतीय बाजार में काफी अच्छी पकड़ रखने वाली सबसे बड़ी 30 कंपनी को ही लिया जाता है, जो कि विभिन्न मुख्य औधोगिक सेक्टरों से आती है।

ये कंपनिया भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों का एक तरह से प्रतिनिधित्व करती है। इन कंपनियों को "ब्लू-चिप" कंपनी(blue chip company) कहा जाता है। Top 30 companies के शेयरों के इसी इंडेक्स को सेंसेक्स कहते है।

सेंसेक्स में कंपनियों के चुनने की प्रक्रिया

इन तीस कंपनियों को चुनने के लिए एक कमिटी बनाई गयी है जिसे इंडेक्स कमिटी कहते है। इस कमिटी में देश के कई वर्गों के प्रोफेशनल्स शामिल होते है। जिसमे अर्थशास्त्री, प्रबंधक, सरकार तथा बैंको के प्रतिनिधि रहते है।

टॉप 30 में शामिल होने के लिए किसी कंपनी द्वारा किन शर्तो का पूरा होना जरुरी होता है।

  • कंपनी कम से कम सक्रिय रूप से एक वर्ष से शेयर बाजार में पंजीकृत होनी चाहिए।
  • कंपनी के शेयर्स का प्रतिदिन खरीदा और बेचा जाना अनिवार्य है।
  • तीस कंपनियों की सूची में शामिल होने के लिए किसी कंपनी का Free-float market capitalisation weightage अच्छा होना चाहिए।
  • प्रतिदिन के ट्रेड और वैल्यू के हिसाब से कंपनी देश की बड़ी कंपनियों में शामिल होनी चाहिए।

सेंसेक्स का आपके जीवन पर क्या प्रभाव होता है

जैसे की मैंने पहले भी बताया है की सेंसेक्स के घटने तथा बढ़ने से आपके रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है। तो आइये जानते है कैसे?

ऐसे तो सेंसेक्स के बढ़ने से कंपनियों तथा उसके निवेशकों(शेयर होल्डर्स) को लाभ तो होता ही है साथ ही इससे देश को विकसित होने तथा एक अच्छी अर्थव्यवस्था बनाने में काफी मदद मिलती हैं।

सेंसेक्स के बढ़ने से होनेवाले लाभ

सेंसेक्स के बढ़ने से आम लोग भी लाभान्वित होते है, वो कैसे इस तरह समझिये - सेंसेक्स का बढ़ना यानि की कंपनियों को Profit होना, जब किसी कंपनी को लाभ होता है तब उसके शेयर खरीददारों की संख्या बढ़ जाती है, खरीददारों की संख्या बढ़ जाने से उसके शेयरों के भाव बढ़ जाते है, जिससे कंपनी की वैल्यू बढ़ जाती है।

अच्छी पूंजी वैल्यू होने से कंपनी का विकास होता है फलस्वरूप वो कंपनी और बड़ी हो जाती है जिसके कारण उसे और लोगो की आवश्यकता होती है और उन्हें लोगों को नौकरी पर रखना होता है, इससे बेरोजगारी घटती है।

सेंसेक्स में बढ़ोतरी के कारण विदेशों से भी निवेशक शेयर खरीदते है। जिससे रुपया, विदेशी मुद्राओं के मुकाबले मजबूत होता है और वस्तुएं सस्ती होने लगती है फलस्वरूप महंगाई घटती है।

Market capitalisation तथा Free-float market capitalisation क्या है

इन दोनों बातों को जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है-

  • Market Capitalisation(बाजार पूंजी): Market Capitalisation किसी कंपनी की कीमत होती है, जो उसके शेयर के कीमतों पर आधारित होती है। किसी कंपनी की कीमत जितनी अधिक होती है वह उतनी ही बड़ी कंपनी होती है। किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन का पता लगाने के लिए उस कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की कुल संख्या के साथ, कंपनी के एक शेयर की मौजूदा कीमत से गुणा कर देते हैं।
    • Market Capitalisation = Total no. of Shares issued by a Company × Market price of one share
  • Free-float Market Capitalisation: यह किसी कंपनी के शेयर का वो खुला हुआ हिस्सा होता है जो खरीदने के लिए उपलब्ध होता है। इसे open market share भी कहते है। ये स्टॉक मार्केट से ख़रीदा जा सकता है।
    एक कंपनी में कई सारे निवेशक होते है जो कंपनी के शेयर होल्डर होते है, जैसे की किसी कंपनी को शुरू करने वाले लोग, जिन्हें Promoters कहते है, सरकार, ट्रस्ट, DII, FII etc. लेकिन BSE-Sensex में किसी कंपनी के उसी शेयर को शामिल किया जाता है जो open market shares होते है, जिन्हें Stock Market से ख़रीदा जा सकता है।
    किसी कंपनी के फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटल का पता लगाने के लिए उस कंपनी के Market Capital के साथ, Free-float factor का गुणा कर देते हैं।
    • Free-float Market Capitalisation = Market Capitalisation of a company × Free-float Factor

Free-float Factor को इस उदाहरण से समझे - मान लीजये की किसी कंपनी के शेयरों की कुल संख्या 500 है जिसमे से 300 शेयर Open Market है और 200 शेयर कंपनी के प्रोमोटर्स के पास है, तो इस तरह से उस कंपनी का Free-float Factor 0.60 होगा, यानि की 60%

सेंसेक्स की गणना कैसे होती है?

How Sensex is calculated in Hindi
आशा हैं आप सेंसेक्स क्या है इसे समझ चुके होंगे, अब पढ़िए सेंसेक्स की गिनती कैसे की जाती हैं।

आप Market Capitalization तथा Free-float Market Capitalization को आसानी से समझ गये होंगे। अब आपको सेंसेक्स की गणना कैसे की जाती है, इसको समझने में परेशानी नही होगी।
आइये इसे एक उदहारण से समझे- मान लीजिये की इंडेक्स में दो कंपनी है- A और B

कंपनी A के पास 1000 शेयर है, जिसमे से 600 Open Market है, और इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 50 रूपए है।

कंपनी B के पास 2000 शेयर है, जिसमे से 1000 Open Market है, और इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 100 रूपए है।

Company A का Market capital = 50000
Company B का Market capital = 200000
Company A के लिए Free-float factor = 0.60
Company B के लिए Free-float factor = 0.50
Total free float market capital of the Index = (50000*0.60) + (200000*0.50) = 130000
अब मान लीजिये की base year का index 5000 था।
Value of Index = (130000 x 100)/5000 = 2600
और इस तरह से सेंसेक्स 2600 होगा।

सेंसेक्स घटता-बढ़ता क्यों रहता है?

कंपनी बाजार पर निर्भर रहती है और सेंसेक्स कंपनी के शेयर के भाव पर निर्भर रहती है। जब कभी भी बाजार किसी राजनितिक, समाजिक, आर्थिक इत्यादि कारणों से प्रभावित होता है, तब कंपनी को या तो लाभ होता है या फिर नुकसान उठाना पड़ता है।

लाभ होने पर कंपनी के शेयरों के भाव बढ़ जाते है, जिससे सेंसेक्स में तेजी(Bullish) आती है और नुकसान होने पर कंपनी के शेयरों के भाव गिर जाते है, जिससे सेंसेक्स घटती है यानि की मंदी(Bearish) आती है।

Performance Report of S&P BSE-Sensex (1991-2022)

SENSEX 1991-2022
SENSEX 1991-2022, Source: TradingView chart

बेस ईयर 1978 से लेकर आज लेख लिखे जाने तक सेंसेक्स(संवेदी सूचकांक) 60000 के आकड़े को छू चूका है।
यह किसी शेयर मार्केट को ही indices नही करता बल्कि यह देश के लिए भी indicator की तरह कार्य कर रहा है।

यदि आपने इस लेख को अच्छे से पढ़ लिया है, और Share Market में Invest करने की सोच रहे है तो सोच समझकर निवेश करे तथा पहले बाजार के परिस्थितियों को भाप ले। निवेश से संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए हमारी शेयर बाजार क्या है तथा इसमें निवेश कैसे करते है पर लिखी हुयी गाइड को पढ़े।


लेख: सेंसेक्स क्या होता है - गणना की पूरी जानकारी - यदि आपको लगता है की इस लेख को दोस्तों, रिश्तेदारों के बीच शेयर करना चाहिए तो जरुर शेयर करे, हो सकता है की वे भी Sensex तथा Stock Market से संबंधित जानकारी लेना चाहते हो।

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