संसद में आम बजट पेश होने के दिन का तो सबको बेसब्री से इंतजार होता हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये कैसे बनती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगे बजट से संबंधित रोचक तथ्य तथा इसकी जानकारी।
बजट के बनने तथा छपने से संबंधित जानकारी
आम बजट कब पेश होता है
देश की आजादी के बाद संसद में पहला बजट आर के शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। पहले फरवरी के अंतिम कार्य दिवसों में इसे को पेश किया जाता था, जबकि 2017 से इसे 1 फरवरी या फरवरी के शुरुआती कार्य दिवसों में पेश किया जाने लगा हैं।
वर्ष 2001 के बाद से वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं। इसके पहले शाम पाँच बजे पेश होता था क्योंकि जब लंदन में दोपहर 11:00 – 11:30 के बीच बजट पेश हो जाता था तब समय में 5:30 घंटों के अंतर के कारण भारत में शाम के पाँच बज रहे होते थे।
सालों से चली आ रही इस अंग्रेजी प्रथा को 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री यशवंत सिन्हा ने तोड़ा था।
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रेल बजट अब जेनरल बजट में ही समाहित
92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए 21 सितम्बर 2016 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मर्ज कर दिया। इससे पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था।
बजट से संबंधित रोचक तथ्य
हलवा बनाने की परंपरा

बजट दस्तावेजों की छपाई हलवा खाने के बाद होती हैं। इस हलवे को बनाने की शुरुआत खुद वित्तमंत्री करते हैं तथा बाकी के कार्य हलवाई। ये मूंग के दाल की हलवा होती है और इसे वित्तमंत्री मौजूद कर्मचारी व सहयोगियों को अपने हाथ से परोसकर सालों से चली आ रही इस हलवे के रस्म को पूरा करते हैं।
कमरे में कई दिनों तक बंद रहते हैं अधिकारी
बजट बनने तथा छपने के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, स्टेनोग्राफर्स, प्रिंटिंग टेक्निशियन तथा अन्य कर्मचारी नॉर्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद रहते हैं। यानी कि आखिरी के सात दिनों तक वे दुनिया से एकदम अलग हो जाते हैं। किसी विशेष आपातकालीन स्थिति में ही वे अपने परिवार से बात कर सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे-सीधे बात नहीं कर सकते।
उन्हें तब तक छुट्टी नहीं दी जाती जब तक वित्त मंत्री सदन में बजट पेश नहीं कर देते। अति आपातकालीन परिस्थितियों में वरिष्ठ अधिकारियों को घर जाने की अनुमति होती हैं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी कर्मचारियों की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं साथ ही एक पावरफुल मोबाइल जैमर नार्थ ब्लॉक में इंस्टॉल किया जाता है जिसका उपयोग कॉल्स को ब्लॉक करने तथा जानकारियों के लीक होने से बचाने के लिए किया जाता हैं।
बजट के प्रिंटिंग की प्रक्रिया
बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के निजी प्रिंटिंग प्रेस में होती है ताकि कोई जानकारी या सूचना लीक न हो जाये। संसद में वित्त मंत्री द्वारा दिया जाने वाला भाषण एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज है। यह बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है।
पहले इसके पेपर्स राष्ट्रपति भवन पर प्रिंट होते थे, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया जिसके बाद प्रिंटिंग का कार्य मिंटो रोड पर स्थित एक प्रेस में स्थानांतरित किया गया। 1980 से इसे नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में प्रिंट किया जा रहा है। यह वित्त मंत्रालय का निजी प्रेस हैं।
छपाई के दौरान जहां स्टेनोग्राफर और अन्य अधिकारी काम करते हैं और रहते हैं, वहां वित्त मंत्री के साथ ही इंटेलिजेस ब्यूरो के चीफ अचानक दौरा कर सकते हैं।
भारतीय बजट की भाषा
संसद के दोनों सदनों में हर साल पेश होने वाली बजट ज्यादातर अंग्रेजी तथा कभी-कभी हिंदी भाषा में होती हैं। 1955-56 में पहली बार आम बजट से जुड़े सभी डॉक्युमेंट्स हिंदी में प्रिंट किए गए थे।
एक ही ब्रीफकेस चला 150 साल तक

बजट के दस्तावेजों को एक ब्रीफकेस में रखा जाता हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि 7 अप्रैल 1860 में ब्रिटेन का बजट पेश करने के लिए जिस लाल ब्रीफकेस का उपयोग जेम्स विल्सन ने किया था, उसी में अगले 150 साल तक, यानी सन 2010 तक बजट पेश किया जाता रहा।
निर्मला सीतारमण ने तोड़ा ब्रीफकेस की पुरानी परंपरा

संसद में बजट 2019 को पेश करने के दौरान नरेन्द्र मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्षों पुरानी ब्रीफकेस में बजट के दस्तावेजों के ले जाने की पुरानी परंपरा को ख़तम कर दिया।
वे ब्रीफकेस के बजाये सभी दस्तावेजों को लाल रंग के कपड़ों में बाँध कर लायी थी, कपड़े पर भारत का राष्ट्रीय प्रतिक लगा हुआ था। पुराने समय से भारतीय परंपरा में वित्तीय बही-खाता को लाल कपड़े में बाँध कर रखने का चलन रहा हैं।
मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड
मोरारजी देसाई के नाम पर सबसे ज्यादा बार देश का बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। उन्होंने 10 बार बजट पेश किया था। इसके अलावा वह देश के अकेले वित्त मंत्री थे जिन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर भी बजट पेश किया। उन्होंने 29 फरवरी 1964 और फिर 29 फरवरी 1968 को अपने जन्मदिन पर बजट पेश किया था।
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